
MOBILE PHONE क्या है ? : MOBILE PHONE एक वायरलेस डिवाइस है जो कई सारे कॉम्पोनेंट्स से मिलकर बना है आज मोबाइल फोन हमारे जीवन का हिस्सा बन गए हैं,MOBILE PHONE हमें दुनिया से एक दूसरे से जोड़ते हैं हम कोई भी जानकारी मोबाइल से प्राप्त कर सकते हैं हम एक दूसरे से फोन के द्वारा बात करते हैं और जो कुछ भी हम चाहते हैं वह हमारे फोन पर तुरंत काम हो जाता है लेकिन आखिर यह मोबाइल फोन कैसे काम करता है|
Mobile Phone काम कैसे करता है ?
MOBILE PHONE क्या है :अब आप सोच रहे होंगे कि मोबाइल फोन आखिर काम कैसे करता है तो चलिए आपको बता देते हैं मोबाइल फोन के अंदर एक MEMS { माइक्रो इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम} लगा होता है
जब हम कॉल करते हैं तो और जब हम बोलते हैं तो हमारी आवाज माइक्रोफोन द्वारा कैच की जाती है जिसको माइक्रो इलेक्ट्रॉन मैकेनिक सिस्टम और सेंसर IC (INTEGRATED CIRCUIT) की मदद से माइक्रोफोन हमारी आवाज को Digital Singnal में बदल देती है |
मोबाइल फ़ोन की परिभाषा: मोबाइल फ़ोन, एक पोर्टेबल डिवाइस। जिसकी मदद से आवाज, वीडियो या अन्य डाटा को संचालित किया और प्राप्त किया जाता है। इसे सेल्युलर फ़ोन हाथ फ़ोन ए सेल फ़ोन भी कहा जाता है। मोबाइल फ़ोन। दूरसंचार नेटवर्क से जुड़कर काम करता है। यह आमतौर पर दो तरीकों से सार्वजनिक स्विच टेलीफोन नेटवर्क से जुड़ता है।
मोबाइल फ़ोन को हिंदी में क्या कहते है :
- मोबाइल फ़ोन को हिंदी में सचल दूरभाष यंत्र कहते हैं।
- मोबाइल को मोबाइल फ़ोन को आसानी से कहीं भी ले जाया जा सकता है।
- मोबाइल फ़ोन को एक महत्वपूर्ण मानो आविष्कार माना जाता है।
- दुनिया के लगभग आधे देशों में 90% से ज्यादा आबादी के पास कम से कम एक मोबाइल फ़ोन।
- मोबाइल फ़ोन को सेलफोन इसलिए कहा जाता है क्योंकि पुराने समय में नेटवर्क टावर जमीन पर लगाए जाते थे। हर इलाके में फ़ोन के लिए मोबाइल टॉवर लगाया जाता था, जिन्हें सेलफोन कहा जाता था।
zero one का खेल:
MOBILE PHONE क्या है आसान भाषा में
Digital Singnal सिग्नल में जीरो और वन के रूप में आपकी आवाज होती है और फोन के अंदर एक एंटीना जो लगा होता है वह 0 और 1 को ही Electromagnetic waves
के रूप में भेजता है इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स वेस तरंग विशेषताओं जैसे की आयाम, आवृति, चरण, वृत्त इनके संयोजन को बदलकर zero और one को संचारित करती है |
इसलिए यदि आप इन विद्युत चुंबकीय तरंगों को अपने फोन मित्र के फोन तक संचारित करने का कोई तरीका ढूंढ सकें |तो आप कॉल करने में सक्षम होंगे लेकिन विद्युत चुंबकीय तरंगे लंबी दूरी तय करने में असफल होती हैं क्योंकि यह भौतिक वस्तुओं विद्युत उपकरणों और कुछ पर्यावरणीय कारकों की उपस्थिति के कारण अपनी ताकत खो देते हैं और वास्तव में ऐसी कोई समस्या नहीं होती है अगर कोई भौतिक अवस्था सामने नहीं आती तब भी पृथ्वी की घुमावदार संरचना के कारण विद्युत चुंबकीय तरंगे हमेशा के लिए नहीं चलती और इन मुद्दों को दूर करने के लिए सेलर प्रौद्योगिकी की अवधारणा का उपयोग करके सेल टावरों की शुरुआत की गई|
Cellular Network कैसे काम करता है ?

MOBILE PHONE क्या है :मोबाइल नेटवर्क में पूरे क्षेत्र को हेक्सागोनल (छः कोनों वाले) सेल्स में बाँटा जाता है। ऐसा इसलिए किया जाता है क्योंकि यह आकार बिना ओवरलैप के पूरे क्षेत्र को कवर कर सकता है।
हर सेल के पास अपना टावर और अलग फ्रीक्वेंसी स्लॉट होता है। टावर से निकलने वाले सिग्नल की ताकत हमें फोन पर दिखाई देती है। टावर आपस में ऑप्टिकल फाइबर केबल से जुड़े होते हैं, जिससे डेटा तेज़ी से ट्रांसफर होता है। ये फाइबर केबल ज़मीन और समुद्र के नीचे बिछाई जाती हैं, ताकि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संचार संभव हो सके।
रेडियो तरंगों का जादू |
जब आप मोबाइल से कॉल करते हैं, तो आपकी आवाज़ विद्युत संकेतों (इलेक्ट्रिकल सिग्नल) में बदल जाती है। फिर यह संकेत रेडियो तरंगों के रूप में पास के मोबाइल टावर तक पहुँचते हैं। टावर इन संकेतों को प्रोसेस करके आगे भेजता है, जिससे यह गंतव्य (जिसे आप कॉल कर रहे हैं) के टावर तक पहुँचते हैं। वहाँ से यह रेडियो तरंगों के रूप में आपके दोस्त के फोन तक पहुँचते हैं, और उसका फोन इन्हें फिर से आवाज़ में बदल देता है। इसी तरह आप और आपका दोस्त एक-दूसरे की आवाज़ सुन पाते हैं। मोबाइल फोन रेडियो तरंगों की मदद से ही काम करता है, ठीक वैसे ही जैसे रेडियो और टीवी प्रसारण।

मोबाइल स्विचिंग सेंटर :होम एमएससी / और विदेशी एमएससी :
मोबाइल स्विचिंग सेंटर हमारे CELULLAR नेटवर्क का केंद्रीय बिंदु होते हैं मोबाइल स्विचिंग सेंटर के बारे में अधिक जानकारी के लिए सबसे पहले हम जानते हैं कि यह कैसे काम करते हैं| मोबाइल स्विचिंग सेंटर एक और अहम किरदार है यह एक शक्तिशाली कंप्यूटर है जो कॉल को सही रास्ते पर पहुंचना है चाहे आप शहर में हो या देश के किसी कोने में एमएससी आपके और आपके इच्छित व्यक्ति के बीच कल को जोड़ने का काम करता है|
जब आप एक सिम कार्ड खरीदते हैं, तो सभी उपयोगकर्ताओं की जानकारी एक आईडी प्रूफ के जरिए दर्ज की जाती है। यह जानकारी MSC (Mobile Switching Center) के पास सुरक्षित रहती है।
MSC क्या करता है?
यह आपके वर्तमान स्थान और कॉल गतिविधियों की जानकारी रखता है।
जब आप अपने घर के इलाके (घरेलू MSC) से बाहर जाते हैं, तो जिस नए क्षेत्र में आप पहुंचते हैं, वहां का MSC आपकी सेवाएं संभालता है। इसे विदेशी MSC कहा जाता है।
आपका फोन अस्थायी रूप से इस नए MSC में पंजीकृत हो जाता है ताकि आप कॉल भेज और प्राप्त कर सकें, चाहे आप कहीं भी हों।
इस प्रक्रिया से आपका नेटवर्क कनेक्शन हर जगह काम करता है, और आप बिना रुकावट के कॉल और संदेश भेज सकते हैं।|
GSM का काम क्या होता है:
MOBILE PHONE कैसे काम करता है वह तो हमने जान लिया अब बात करते हैं GSM कैसे काम करता है| अपने ग्राहकों को समझने के लिए एमएससी क्षेत्र के भीतर ग्राहक किस क्षेत्र में एमएससी कुछ ऐसी तकनीक का उपयोग करता है
- सबसे पहले या की यह एक निश्चित अवध के बाद सब्सक्राइबर लोकेशन को अपडेट किया जाए
- जब फोन के नेटवर्क की पूर्व निर्धारित संख्या को पार कर जाता है तो लोकेशन को अपडेट किया जाता है
- इनमें से आखरी है जब फोन चालू होता है स्थान बदलने की प्रक्रिया से एमएससी के लिए कर अनुरोध के समय फोन का पता लगाना आसान हो जाता है|
अब इन सबको एक उदाहरण के तौर पर समझते हैं:
अभी तक हमने MOBILE PHONE क्या है इन सभी तकनीक के बारे में जाना और अब हम समझते हैं कि यह सारी चीज मिलाकर कैसे काम करती हैं यानी कि कॉल कैसे लगती है|
सुरेश, राजेश को कॉल करना चाहता है, इसलिए वह उसका नंबर डायल करता है। सुरेश के घर से कॉल का अनुरोध उसके नजदीकी मोबाइल स्विचिंग सेंटर (MSC) तक जाता है। MSC, राजेश का नंबर पहचान कर उसके MSC तक अनुरोध भेज देता है।
राजेश का MSC देखता है कि वह अभी किस टावर से जुड़ा है। अगर वह सुरेश के ही MSC में है, तो कॉल का अनुरोध सीधे उसके टावर तक भेज दिया जाता है। टावर यह जांचता है कि राजेश का फोन ऑन है या वह किसी दूसरी कॉल पर व्यस्त तो नहीं है। अगर फोन ऑन और फ्री है, तो टावर राजेश के फोन तक कॉल का सिग्नल भेजता है।
राजेश का फोन इस सिग्नल को पहचानता है और बजने लगता है। जैसे ही वह कॉल उठाता है, दोनों MSC कॉल को सही नेटवर्क पर ट्रांसफर कर देते हैं। फिर, सुरेश की आवाज डिजिटल सिग्नल में बदलकर राजेश तक और राजेश की आवाज सुरेश तक पहुँचती है – यह सब कुछ मात्र 2 सेकंड के अंदर हो जाता है।
MOBILE PHONE जेनरेशन:
1G: सबसे पहले वायरलेस फोन बनाया गया था और इसमें केवल कॉल की जा सकती थी यह पहली पीढ़ी थी जब हमारे लोग फोन पर बात कर रहे थे
2G: पहले जनरेशन में जो समस्याएं थी वह सेकंड जनरेशन में खत्म हो गई थी यानी कि अब डॉग फोन के अलावा अपने दोस्त मित्रों को संदेश भी भेज सकते थे और यह एक बहुत ही अच्छी बातचीत करने का तरीका था| इसी में सबसे पहले इंटरनेट को इंटीग्रेटेड किया गया था
3G: फिर दूसरी पीढ़ी के बाद तीसरी पड़ी और इसमें और भी बदलाव हुए हैं इसमें आप मल्टीमीडिया इसमें हम वॉइस कॉल वीडियो कॉल डाटा शेयरिंग बहुत ही फास्ट तरीके से करने लगे थे और यह मोबाइल फोन की एक बहुत बड़ी क्रांति थी|
4G: 3G के बाद आया 4G और इसने एक अलग ही माहौल बनाया इसमें हम हाई क्वालिटी पिक्चर्स देख सकते थे और इसकी स्पीड 3G के मुकाबले बहुत फास्ट हो गई थी या 20 से 100 एमबीपीएस तक स्पीड दे रहा था और यह एलटी पर काम करता है जो कि नेटवर्क का एक अपग्रेडेड वर्जन है
JIO , AIRTEL, VI सभी ने पेश किये 5G
5G: 5G अब तक की इंडिया में सबसे ज्यादा स्पीड वाला नेटवर्क है और यह सबसे वर्तमान में सबसे तेज इंटरनेट प्रदान करता है इसकी स्पीड 4G से 100 गुना ज्यादा है यानी कि यह 1gbps तक की स्पीड देता है और इसके साथ हम डिजिटल क्रांति देख सकते हैं इसमें हम स्मार्ट सिटी बन सकते हैं स्मार्ट हाउस और इसकी सहायता से हम डिजिटल के जितने भी एस्पेक्ट है उन सब को इसके माध्यम से देख सकते हैं 5G स्पीड से स्वचालित करें और भी बहुत सारी तकनीकी हैं जो हमारे काम को आसान कर रही हैं और आने वाले समय में और जो जेनरेशन आने वाली है वह और भी ताकतवर होगी|
निष्कर्ष:
उम्मीद करता हूं दोस्तों आपको इस MOBILE PHONE क्या है पोस्ट में कुछ सीखने को मिला होगा अगर मिला है तो आप हमें कमेंट कर सकते हैं अगर आप कोई से किसी चीज के बारे में जानकारी चाहते हैं तो आप हमें बता सकते हैं हम उसे आप तक पहुंचने में मदद करके खुशी मिलेगी धन्यवाद|
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2.आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस के बारे में
3.MOBILE NETWORK कैसे काम करता है