परिचय : कल्पना कीजिए कि आप एक ऐसे घर में बैठे है जहाँ बल्ब और थर्मोस्टेट और यहाँ तक कि आपका फ्रिज आपकी आवाज सुनते है और RESPONSE करते है | क्या आप जानते हैं कि INTERNET OF THINGS आपकी कार को आप के लिए ड्राइव कर सकती जिसको सेल्फ ड्राइविंग कहते हैं। और आपकी स्वास्थ्य की निगरानी भी कर सकती है। यहाँ तक कि ये आपके शहर को स्मार्ट भी बना सकती है। INTERNET OF THINGS एक TECHNOLOGY ही नहीं एक क्रान्ति है जो हमारे रहने के तरीके को पूरी तरीके से बदल रही है|
WHAT IS THE INTERNET OF THINGS?
रोज़मर्रा की जिंदगी में प्रयोग होने वाली चीजें को जब हम किसी ELECTRONIC DEVICE और सॉफ्टवेर तथा सेंसर से कनेक्ट करते है और फिर उन चीजों से इंटरनेट को जोड़ देते है जिससे यह बिना किसी इन्सान के हस्ताछेप के DATA को COLLECT व EXCHANGE कर सके इसे INTERNET OF THINGS कहते है |

उदाहरण के लिए = आपकी सेल्फ ड्राइविंग कार जब उस में लगे सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक्स सॉफ्टवेर के द्वारा वो सारे कमांड डाटा को कलेक्ट करती है फिर उसको उस हिसाब से बदलती हैं। उसे सिग्नल दीखते हैं तो कंट्रोल कर लेती है। उसे कोई इंसान दिखता है तो अपने आप ब्रेक लगा देती है।और उसकी स्पीड ,battery , और fuel सारी चीज़े आपकी display में दिखाई देती है |यह सिर्फ और सिर्फ INTERNET OF THINGS की मदद से होता है।
INTERNET OF THINGS का इतिहास :
इसकी शुरुआत? 1972 ईस्वी में ही शुरू हो गई थी। जब स्टैनफोर्ड आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट प्रयोगशाला ने अपने दूरस्थ साइट को उपयोग के लिये एक कंप्यूटर कण्ट्रोल मशीन विकसित की जिसे कैंटीन वेडिंग से किराये पे ली गयी मशीन से अनुकूलित किय गया था |
1. शुरुवात (1982):
शुरुआत में कार्नेगी मेलान विश्वविद्यालय के कंप्यूटर साइंस विभाग ने एक कोका कोला वेडिंग मशीन में सेंसर लगाकर इंटरनेट से जोड़ा और यह सबसे पहला उदाहरण था जब किसी डिवाइस को इंटरनेट से जोड़ा गया था।
2. पहला उपयोग (1991):
21 वीं सदी में सबसे पहले जब कंप्यूटर मे INTERNET OF THINGS जोड़ने का विचार सामने आया तो बताया गया कि चीजों को इंटरनेट से जोड़कर उन्हें स्वचालित और स्मार्ट बनाया जा सकता है।
3.आगे का विकास (1994-1999):
डेटा को इसमें मोबाइल फ़ोन तथा नेटवर्क के जरिए सेट करने का विचार पेपर में सबसे पहले आया।
1999 में iot शब्द को आधिकारिक तौर पर पेश किया गया।
4.RFID टेक्नोलॉजी का योगदान (1999):
RFID (RADIO FREQUENCY IDENTIFICATION) TECHNOLOGY का उपयोग करके चीजों की पहचान और प्रबंधन शुरू हुआ और इससे INTERNET OF THINGS के लिए जरूरी माना गया |
5. भविष्य की कल्पना(2004):
पेट पिटरसन ने कहा कि भविष्य में सभी डिवाइस नेटवर्क से जुड़ेंगे और सूचना प्रौद्योगिकी जीवन का हिस्सा बन जाएगी।
6. तेजी से विस्तार(2008-2010):
INTERNET OF THINGS साइंस डिवाइस की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई और फिर 2003 में केवल 0.08% डिवाइस जुड़ते, लेकिन 2010 तक या 1.84 हो गया
सारांश: इस प्रकार इंटरनेट का विकास एक छोटी शुरुआत से हुआ जहाँ वेडिंग मशीन को इंटरनेट से जोड़ा गया फिर धीरे धीरे यह एक विशाल नेटवर्क बन गया, जिसमें चीजें आपस में डेटा का आदान प्रदान कर सकती।
INTERNET OF THINGS काम कैसे करता है?
INTERNET OF THINGS प्रणालियाँ सेंसर , इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस ,सॉफ्टवेयर और वह इंटरनेट के माध्यम से जुड़ा होता है। यह उपकरण में लगे सेंसर उसे डेटा को कलेक्ट करता है। ओर फिर उसे दूसरे एप्लीकेशन में प्रेषित करता है।यह मुख्या चार तत्वों से मिलकर बना है |

- सेंसर: INTERNET OF THINGS में सेंसर का बहुत महत्वपूर्ण कार्य होता है। सेंसर डेटा को कलेक्ट करता है जैसे कि तापमान, नमी, प्रकाश गति आदि | फिर या डेटा को प्रोसेसर करता है। ताकि यह समझ सके कि करना क्या है? उसके बाद इस डाटा को? कम्यूनिकेट करता है और अन्य डिवाइस के सर्वर को भेजता है। जैसे कि स्मार्टवॉच की हार्ट रेट सेंसर डाटा को मोबाइल ऐप पर भेजती है।
- इन्टरनेट: हर iot डिवाइस इंटरनेट से नेटवर्क के जरिए एक दूसरे से कम्यूनिकेट करते हैं। फिर ये डिवाइस इंटरनेट ऑफ थिंग्स से जुड़कर जो सेंसर होता है उससे अपने कम्यूनिकेशन को साझा करते और फिर आईओटी डिवाइस को डेटा भेजते।
- डेटा विश्लेषण: यह सेंसर और इंटरनेट से कनेक्ट डाटा को पहले एकत्रित करता फिर क्या इस डेटा को विश्लेषण करने पर सोच निर्णय लेने के लिए मशीन लर्निंग या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक का उपयोग करता है। फिर ये निर्णय आईओटी डिवाइस को वापस भेजता है और फिर आईओटी डिवाइस इनपुट पर समझदारी से प्रतिक्रिया करता है।
- ग्राफिकल यूज़र इंटरफेस (Gui) :INTERNET OF THINGS डिवाइस को मैनेज करने के लिए। आम तौर पर ग्राफिकल। यूज़र इंटरफेस का इस्तेमाल किया जाता है। क्योंकि ये हमारी डिवाइस को मैनेज तथा नियंत्रित करने के लिए और रजिस्टर करने के लिए किसी वेबसाइट या मोबाइल एप का इस्तेमाल यूएई के तौर पर किया जा सकता है। जिससे हम अपनी इंटरनेट ऑफ थिंग्स को कस्टमाइज़ अपने हिसाब से यूज़ कर सके।
INTERNET OF THINGS important क्यों है?
INTERNET OF THINGS हम सब को एक स्मार्ट तरीके से जीने में काम करने के लिए मदद करता है। और ये? हमारी काम को बहुत ही सरल बना देता है। उदाहरण के लिए ,एक स्मार्टवाच का उदाहरण ले सकते हैं। जैसे वह हमारी हार्टरेट व उसने कितने स्टेप्स चले हैं? इत्यादि। इंटरनेट ऑफ थिंग्स घरों को स्वचालित करने के लिए स्मार्ट डिवाइस का उपयोग होता। क्योंकि स्वचालित घर सेंसर और इंटरनेट से जुड़े हुए होते हैं। जो हमारे कहने ही मात्र फॉलो करते है और हमें सूचना प्रदान करते हैं। ये व्यक्तिगत जीवन में ही नहीं ये हमारे व्यवसाय तथा हमारे काम को तेजी घर लाने के लिए भी सहायक है। इसका उपयोग से हम बहुत जल्द ही एक बड़े गोल को प्राप्त कर सकते हैं।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स के लाभ:
1. समय की बचत:
- INTERNET OF THINGS डिवाइस। स्वचालित रूप से काम करते हैं, इसलिए समय की बचत होती है।
- example: स्मार्ट होम में लाइट्स और एसी अपने आप ऑन ऑफ हो जाते हैं।
2. ऊर्जा की बचत:
अब सेंसर के जरिए बिजली का उपयोग। आसान हो जाता है। केवल आवश्यकता के अनुसार ही उपकरण काम करते हैं और बाकी अपने आप बंद हो जाते हैं।
example: स्मार्ट बल्ब और थर्मोस्टेट ऊर्जा की खपत कम करते है।
3. बेहतर सुरक्षा:
- IOT डिवाइस। जैसे स्मार्ट कैमरा। डोला। और अलार्म सिस्टम। और ऑफिस की सुरक्षा? बेहतर बनाते हैं।
- EXAMPLE: जब हम घर से बाहर होते हैं तो हम अपने फ़ोन से स्मार्ट कैमरे के द्वारा अपने घर की निगरानी रख सकते हैं।

4. स्वास्थ्य में सुधार:
- आजकल हम सभी इंटरनेट ऑफ थिंग्स डिवाइस और स्मार्टवॉच प्रयोग करते हैं। जो हमारे लिए हमारे स्वास्थ्य के लिए बहुत मददगार होती।
- example: जब हम फिटनेस बैंड या स्मार्टवॉच पहनते हैं। तो यह हमारे हार्ट रेट को मॉनिटर करती है और हमारी शरीर की गतिविधियों पर नजर रखती है जो हमे समय समय पर अलर्ट करती है।
5. उत्पादकता में वृद्धि:
- आज कल की मशीनें INTERNET OF THINGS का प्रयोग करके संचालित बनाकर उत्पादन में तेजी ला रही है। जिससे हमारी उत्पादक क्षमता और भी। बढ़ गई है।
- example: कंपनी में सेंसर से हम मशीन की खराबी को पहले ही पहचान लेते हैं। जिससे हमारा समय और पैसे की बचत होती है।
6. स्मार्ट शहर:
- INTERNET OF THINGS से। हम ट्रैफिक पब्लिक ट्रांसपोर्ट और वेस्ट मैनेजमेंट को स्मार्ट बनाने में। प्रयोग होता। जिससे हम अपने शहर को स्मार्ट बना सकते हैं।
- example: स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स ट्रैफिक जाम को कम करती है।
7. लागत में कमी:
- IOT डिवाइस से ऊर्जा और संसाधन का प्रयोग बहुत कुशल तरीके से होने लगा है। जिससे लागत में कमी आ रही है।
- example: जैसे स्मार्ट वाटर मीटर पानी की बर्बादी को रोकता है। और वो हमें बता देता हैं की पानी की टंकी भर गई है और आप इसको बंद कर दें।
8. पर्यावरण संरक्षण:
- INTERNET OF THINGS आधारित सेंसर। पर्यावरण की गुणवत्ता जैसे वायु प्रदूषण और जल स्तर की निगरानी करते हैं।
- example: जैसे स्मार्ट फार्मिंग। इसमें सेंसर फसलों को सही समय पर पानी और खाद देने में मदद करते हैं।
INTERNET OF THINGS की चुनौतियाँ:
इन्टरनेट of थिंग्स के लाभ के बारे में हमने बात कर ली अब हम इसकी कुछ चुनौतियों के बारे में बात करेंगे जो इस प्रकार है |

1.साइबर हमले :
- INTERNET OF THINGS device व network से जुडी चीजों को हैक करना आसान होता है जिससे हम device का नियंत्रण खो सकते है |
- example: स्मार्ट कार का हैक होना दुर्घटना का कारण बन सकता है |
2.डाटा सुरक्षा और गोपनीयता:
- ये device बड़े पैमाने पर डाटा को इकठा करते है जो HACKERS के लिए संवेदनशील हो सकता है |
- example :अगर आपके समार्ट होम का डाटा लीक हो जाए तो यह आपकी निजी जानकारी को खतरे में दाल सकता है
3.network पर निर्भरता :
- INTERNET of THINGS device इन्टरनेट पर निर्भर होते है और network में खराबी के कारण device काम करना बंद कर देते है |
- example :यदि आपका इन्टरनेट डाउन है तो आपके स्मार्ट device ख़राब हो जाते है |
4.जटिलता :
- INTERNET of THINGS सिस्टम को संभालना मुस्किल हो सकता है जिनको तकनिकी जानकारी नहीं है |
- example :बहुत सारे device को एक साथ जोड़ने और उन्हें कण्ट्रोल करना कठिन हो सकता है |
5.बिजली की ज्यादा खपत :
ioT device लगातार डेटा को प्रोसेस और ट्रान्सफर करते रहते है ,जिससे उर्जा की खपत ज्यादा होती है |
example: स्मार्ट होम device लगातार पॉवर लेते रहते है |
6.पर्यावरण पर प्रभाव :
- INTERNET of THINGS के उत्पादन और डिस्पोजल से इ कचरा बढ़ता है जो ENVIRMENT को नुकसान पहुचता है ‘
- example:पुराने उपकरणों के सही निपटन न होने से प्रदुषण बढ़ सकता है |
10. अधिक निर्भर होना :
- INTERNET of THINGS पर ज्यादा निर्भरता से लोगो की कार्य क्षमता और स्वतंत्रत कम हो सकती है |
- example :अगर तकनीकी खराबी हो जाए , तो दैनिक जीवन प्रभावित हो सकता है |
अक्सर INTERNET of THINGS से REALETED पूछे जाने वाले सवाल :
प्रश्न:INTERNET of THINGS क्या है
उत्त्तर:एक ऐसी तकनिकी जिसमे चीज़े जैसे device , उपकरण, SENSOR, आदि को इन्टरनेट से आपस में जोड़ा जाता है |यह device डेटा इकठा करते है , साझा करते है , और स्वचलित तरीके से कार्य करते है |
प्रश्न:iot कैसे काम करता है :
उत्तर: ये device सेंसर और इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करके यह हमारा डेटा एकत्र करता है और फिर इसे संसाधित करता है। प्रसंस्करण के बाद इसे उपयोगकर्ता या अन्य उपकरणों के साथ साझा किया जाता है या यह कार्रवाई स्वचालन और वास्तविक समय की निगरानी को संभव बनाता है।
प्रश्न: iot का मुख्य उद्देश्य:
उत्तर:इंटरनेट ऑफ थिंग्स का उद्देश्य उपकरणों को स्मार्ट और स्वचालित बनाना है ताकि वे बिना किसी मानवीय व्याख्या के कार्य कर सकें, जिससे समय और ऊर्जा की बचत होगी तथा उत्पादकता में सुधार होगा।
प्रश्न:इंटरनेट ऑफ थिंग्स के प्रमुख उदाहरण क्या हैं?
उत्तर:

- स्मार्ट होम डिवाइस जैसे बल्ब थर्मोस्टेट।
- स्मार्टवॉच और फिटनेस ट्रैकर।
- स्मार्ट कार।
- औद्योगिक मशीनरी मॉनीटरिंग।
- स्वास्थ्य उपकरण जैसे ग्लूकोज मॉनिटर।
- स्मार्ट सिटी जैसे लाइट्स।
प्रश्न: इंटरनेट ऑफ थिंग्स के लाभ क्या है?
- समय और ऊर्जा की बचत होती है।
- हमें बेहतर सुरक्षा मिलती है।
- हम रियल टाइम मॉनीटरिंग कर सकते हैं।
- स्मार्ट सिटी और स्मार्ट कृषि का निर्माण कर सकते।
- औद्योगिक और व्यक्तिगत उत्पादन में वृद्धि।
प्रश्न: इंटरनेट ऑफ थिंग्स के नुकसान |
- डेटा सुरक्षा और गोपनीयता का खतरा।
- इसमें साइबर हमले का जोखिम रहता है।
- ये थोड़ा महंगे होते हैं।
- हमेशा नेटवर्क के ऊपर निर्भर रहते हैं।
- पर्यावरण पर भी प्रभाव पड़ता है। कहें तो ई कचरा |
प्रश्न: इंटरनेट ऑफ थिंग्स में कौन कौन से सेंसर उपयोग किए जाते हैं?
- तापमान सेंसर।
- प्रकाश सेंसर।
- गति सेंसर।
- नमी सेंसर।
- प्रेशर सेंसर।
- कैमरा और माइक्रोफोन।
प्रश्न: iot कहाँ कहाँ पै उपयोग होता है।
- स्मार्ट होम जैसे लाइटिंग, एसी और सुरक्षा उपकरण।
- स्वास्थ्य क्षेत्र में मरीजों की रियल टाइम निगरानी।
- कृषि में फसलों के लिए सेंसर आधारित पानी और खाद का प्रयोग।
- उद्योग में मशीनरी का ऑटोमेशन। और निगरानी रहना।
- स्मार्ट शहर जैसे ट्रैफिक मैनेजमेंट, पब्लिक ट्रांसपोर्ट और वेस्ट मैनेजमेंट।
प्रश्न: इंटरनेट ऑफ थिंग्स और स्मार्ट डिवाइस में क्या अंतर है?
उत्तर: इंटरनेट ऑफ थिंग्स। डिवाइस को इंटरनेट से जोड़कर आपस में डेटा साझा करने में सक्षम बनता है, जबकि स्मार्ट डिवाइस केवल स्वचालित कार्य करते हैं और हमेशा इंटरनेट से जुड़े नहीं होते।
प्रश्न:INTERNET OF THINGS की सबसे बड़ी चुनौती क्या है?
INTERNET OF THINGS की सबसे बड़ी चुनौती है डेटा सुरक्षा और गोपनीयता। साथ ही मानिकरण और साइबर हमले का खतरा भी बड़ी समस्याएं हैं।
प्रश्न:INTERNET OF THINGS में कौन कौन सी तकनीकी उपयोग होती?
- वायरलेस नेटवर्क।
- रेडियो फ्रीक्वैंसी आइडेंटीफिकेशन।
- क्लाउड कंप्यूटिंग।
- आर्टिफिशियल इन्टेलिजेन्स।
- बिग डेटा और एनालिटिक्स।
प्रश्न:INTERNET OF THINGS कब भविष्य क्या है|
उत्तर: इंटरनेट ऑफ थिंग्स का भविष्य शानदार है। इससे हम स्मार्ट शहर, अच्छी देखभाल और अपने व्यवसाय के लिए ऑटोमेशन मशीन्स, पर्यावरण की निगरानी में बड़ा बदलाव ला सकते हैं। आने वाले कई वर्षों में इंटरनल आप थिंक डिवाइस की संख्या और उपयोग में। और तेजी से वृद्धि होगी।
प्रश्न:INTERNET OF THINGS डिवाइस को सुरक्षित कैसे रखें।
- हमेशा एक मजबूत पासवर्ड। सेट करें।
- समय समय पर अपनी डिवाइस को अपडेट करते रहें।
- किसी भी। ऐसे लिंक्स पर या एंटीवायरस से बचें।
- केवल विश्वसनीय नेटवर्क का उपयोग करें।
प्रश्न: INTERNET OF THINGS COURSE:
आप इंटरनेट ऑफ थिंग्स के बहुत सारे कोर्स को ऑनलाइन सीख सकते हैं। यहाँ पर मैं आपको एक उदाहरण के तौर पर लिंक प्रोवाइड कर रहा हूँ।
निष्कर्ष: इस तरह से हम देख सकते हैं कि INTERNET OF THINGS ने कैसे हमारी जिंदगी को को एक स्मार्ट, सुविधाजनक? और कुशल बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका अपनी निभाई है। यह हमारे डिवाइस को आपस में जोड़कर स्वचालित बनाती है जिससे हमारा समय बचता है, ऊर्जा बचती है और स्वास्थ्य जैसी चीजों की हम निगरानी रख सकते हैं। हालांकि इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं जैसे डेटा की सुरक्षा, साइबर हमले। वो उच्च लागत लेकिन इसको हम सही से यूज़ करने के लिए कुछ नियम कानून बनाये और इसका ध्यान रखें।